l 19 फरवरीl भिंड जिले के ज्यादातर निजी अस्पताल सरकारी डॉक्टर के भरोसे संचालित हो रहे हैं। नर्सिंगहोम और प्राइवेट अस्पतालों में सरकारी डॉक्टर आपरेेशन से लेकर ओपीडी तक सब संभाल रहे हैं। कुछ निजी अस्पताल तो सरकारी डाक्टरों के ही हैं, लेकिन सरकारी सेवा में होने के कारण उन्होंने किसी और के नाम पर रजिस्ट्रेशन करा रखा है।
जिले मे संचालित हो रहे प्रयवेट नर्सिंग होम्स मे से कुछ नर्सिंग होम ऐसे है जो पूर्णतः नियमों की धज्जियाँ उड़ा रहे है जिसके बावज़ूद भी इन पर कोई कार्रवाई नही होती सुत्रों के अनुसार यह सारी अनमियताऐ स्वास्थ्य विभाग के आलसी रवैये के चलते है ईतना ही नही नर्सिंग होम में काम करने वाले एक डाँक्टर से जब हमारी टीम ने बात की तो जनाब ने नाम न बताने की शर्त पर कहा~ "यह सब चलता है अगर प्रशासन सही तरीके से जांच करे तो जिले के समस्त नर्सिंग होम बंद हो जाएगें" इतना ही डाँक्टर सहाब द्वारा यह भी बताया यह सब कुछ स्वास्थ्य विभाग की रजामंदी से चल रहा है। सीएमओ ने सब कुछ जानते हुए भी आंखें बंद कर रखी हैं। डाक्टर, एमआर, दवा कंपनियों और स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत से मरीजों को इलाज के नाम पर लूटा जा रहा है।
जिले में लगभग आधा सैंकडा से अधिक निजी अस्पतालों का संचालन हो रहा है। इनमे से एक भी अस्पताल में बेहोशी के डॉक्टर नहीं है। कुछ अस्पतालों को छोड़ दिया जाए तो किसी में सर्जन, बाल रोग विशेषज्ञ, फिजीशियन समेत अन्य चिकित्सक भी नहीं हैं। कुछ नर्सिंगहोम मे तो ज्यादातर अस्पतालों में प्रसव पीड़िताओं को ही भर्ती किया जाता है। नार्मल या फिर सीजर प्रसव कराया जाता है। स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों की ही मानें तो शहर में संचालित हो रहे ज्यादातर नर्सिंगहोम में जिला व महिला अस्पताल में तैनात सर्जन और बेहोशी के डॉक्टर ऑपरेशन करने के लिए जाते हैं। वहीं ग्रामीण इलाके के अस्पतालों में सीएचसी में तैनात सर्जन ऑपरेशन करने जाते हैं।